सालों बाद सेहत पर मेहरबान सरकार

सालों बाद सेहत पर मेहरबान सरकार

सेहतराग टीम

देश का स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र हमेशा से सरकारों की उदासीनता का शिकार रहा है। शायद यही वजह है कि देश का चिकित्‍सा जगत सीधे-सीधे दो पाटों में बंट गया है। एक ओर पैसे वाले लोग हैं जो कि अपने पैसे के दम पर विश्‍वस्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं हासिल कर रहे हैं जबकि दूसरी ओर ऐसे लोग हैं जिन्‍हें सामान्‍य बीमारियों का इलाज भी सुलभ नहीं है। हालांकि अब स्थिति बदलने का दावा किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार अब स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र पर सबसे ज्‍यादा ध्‍यान दे रही है।

इन्‍हीं दावों के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी शुक्रवार को दावा किया कि नीतियों के मामले में स्वास्थ्य क्षेत्र अब केंद्र में आ गया है और इस क्षेत्र में विभिन्न पक्षों के बीच सभी तरह की सूचनाओं को साझा करने और समन्वय की कमी को दूर करने की जरूरत है।

नीति आयोग की ‘नए भारत के लिए स्वास्थ्य प्रणाली पर बातचीत’ को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली के नजरिये से पोषण अभियान और आयुष्मान भारत एक अनूठा माडल हो सकता है। इसी कार्यक्रम में नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि एक वैश्विक स्तर की स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने का समय आ गया है। 

आधिकारिक बयान के अनुसार एक अनुमान के मुताबिक कार्यशील स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने के संदर्भ में जरूरी फैसले किये जाते हैं, इससे विभिन्न बीमारी के कारण वयस्कों की मृत्यु के मामले 2030 तक 16 प्रतिशत तक कम हो जाएंगे। इससे आर्थिक वृद्धि में अच्छी खासी वृद्धि होगी।

बयान में कहा गया है कि विभिन्न योजनाओं को एकीकृत करने और सभी संबद्ध पक्षों के बीच समन्वय से स्वास्थ्य खर्चों में उल्लेखनीय कमी आएगी।

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